दुनिया को आंतक देने वाला पाकिस्तान कई मुश्किलों से गुजर रहा है पाकिस्तान के लिए यह कोई पहला वाक्य नहीं है कि उसने दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के प्रति अड़ियल रवैया दिखाया हो । इससे पहले भी पाकिस्तान में जो भी सरकार सत्ता में आई है उसने बीच बीच में वॉशिंगटन के प्रति अपने मन मुताबिक रिश्ते रखें है |
उधर वॉशिंगटन भी कम नहीं है उसने इस्लामाबाद को हमेशा अपने उंगलियों में चलाने कि कोशिश की है और जरूरत के हिसाब से पाकिस्तान और उसकी धरती का इस्तेमाल किया है हमने धरती का जिक्र क्यों किया इसका मतलब आपको आगे समझाएंगे । पहले ताजा विवाद समझ लेते है फिर आपको दोनों के रिश्तों के बारे में भी बताएंगे । साथ पाकिस्तान का चीन के प्रति प्यार पिछले कुछ सालों से नजदीक क्यों आया है चीन क्या हित साधने की कोशिश कर रहा है चीन और पाकिस्तान दोनों मित्र है या फिर एक दूसरे का इस्तेमाल कर रहे है ये सभी बातें जानेंगे ।
वाशिंगटन – बीजिंग के बीच इस्लामाबाद की नीति क्या है
दरअसल खटास की वजह यह है कि अमेरिकी सम्मेलन में शामिल होने से पाकिस्तान ने इंकार कर दिया । तो अमेरिका की नाराज़गी सामने आ गई । इसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्विट करते हुए खुशी का इजहार किया और पाकिस्तान को आयरन ब्रदर बता दिया । चीन की खुन्नस यह थी कि अमेरिका ने चीन के नेतृत्व के लिए बीजिंग की बजाय ताइवान को न्यौता दिया था जिसके बाद ड्रैगन बौखला गया । समझने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के लिए अगर इस सम्मेलन में जाना चीन से सम्बन्ध बिगाड़ने की तरह होता ।
इसलिए पाकिस्तान ने जाना मुनासिब नहीं समझा । तो दूसरी बात यह भी है कि पाकिस्तान ने बहुत अच्छा मौका गवां दिया । पाकिस्तान को यह समझना होगा कि देश चलाने के लिए डॉलर कि जरूरत होती है युआन की नहीं। पिछले कुछ महीने पहले देखें तो अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार का बनना जो पाकिस्तान के लिए अहम है ऐसे में पाकिस्तान को अपनी विदेश नीति को बढ़ाने की जरूरत है सिकोड़ने की नहीं ।
पाकिस्तान के लिए महंगा साबित होगा
अमेरिका ने इस सम्मेलन में 110 देशों को न्योता दिया था। यह बैठक वर्चुअल थी इसमें भारत भी शामिल था लेकिन रूस , चीन बांग्लादेश जैसे देश नहीं थे । तो पाकिस्तान को सोचना चाहिए था कि यह बैठक क्यों महत्वपूर्ण है । अमेरिका जानता है कि पाकिस्तान ने ऐसा चीन के कहने पर किया है । हो सकता है आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच कूटनीति सम्बन्ध में खाई पैदा हो जाए। अगर ऐसा होता है तो इसके लिए इमरान खान जिम्मेदार होंगे ।
पाकिस्तान की मंशा यह है कि अमेरिका हमारे यहां निवेश नहीं करता और जरूरत के हिसाब से याद करता है । यह बात सच है कि चीन ने पाकिस्तान में बड़ा निवेश किया है और दोनों की दोस्ती दुनिया देख रही है। जैसा मैंने शुरू में कहा था कि पाकिस्तान और अमेरिका अपने अपने फायदे से एक दूसरे को समय समय पर याद करते है ठीक ऐसा ही भविष्य में होगा । ओसामा बिल लादेन को जब मारना था तो अमेरिका ने पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल किया था और अगर तालिबान कुछ ऐसा भविष्य में संकट बनेगा तो अमेरिका को ना चाहते हुए पाकिस्तान की जरूरत पड़ेगी । उधर अमेरिका कई बार पाकिस्तान को बचाता रहा है ।