By Suman
राजस्थान के किसान और पर्यावरण प्रेमी हिम्मतराम भांभू (65) ने 25 बीघा जमीन पर 11,000 पेड़ों वाला जंगल खड़ा किया है और पांच साल में पांच लाख से जिसके के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
कर्नाटक के 66 वर्षीय हरेकला हजब्बा ने पैसे जमा कर गांव में गरीब बच्चों के लिए एक स्कूल का निर्माण कर ग्रामीण शिक्षा कोआगे बढ़ाने में एक भूमिका निभाई है ,जिसके लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
कर्नाटक की रहने वाली तुलसी गौड़ा एक पर्यावरणविद् हैं जिन्होंने 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं और पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण में जुटी हुई हैं। उनके इस जस्बे के लिए उन्हें पद्म श्री से नवाजा गया।
102 वर्षीय श्री नंदा किशोर प्रस्टी दशकों से ओडिशा के जाजपुर में बच्चों और वयस्कों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की, जिसके लिए राष्ट्रपति कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरुस्कार मिला।
सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद शरीफ ने धर्म देखा न जाति हर लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर के, पुण्य का काम है। उनके इस काम के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
'सीड मदर' के नाम से लोकप्रिय, अहमदनगर जिले की आदिवासी श्रीमती राहीबाई सोमा पोपेरे ने कृषि में अहम योगदान दिया। जिसके लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।